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फुहारे / अंशु हर्ष
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					आसमान से बरसता पानी
कभी तेज़ कभी रिमझिम ...
सुखद अहसास है ...
ठंडी हवाओं का चलना
और बालकनी में बैठ
फुहारों से खेलना
लेकिन उसी पल याद आती है
कुछ ऐसे लोगों की
जिनके सर पर है खुला आसमान
और खुली सड़के ही है जिनकी बालकनी
क्या वह भी खेलते है इन फुहारों के साथ या
 
ये फुहारे खेल जाती है उनकी ज़िन्दगियो से
	
	