फूलकपास / राम सेंगर
कमज़ोर बनो !
कमज़ोर बनो !
लातें खाओ बड़पेटों की
धन्नासेठों के बेटों की
अपने बचाव को घिघियाओ
मुर्दार लगो मुँह की खाओ
कमज़ोर बनो !
कमज़ोर बनो !
लुच्चों लम्पट बदकारों से
बटमारों से मक़्कारों से
तक़रार न हक़ के लिए करो
उनकी सत्ता को नमन करो
कमज़ोर बनो !
कमज़ोर बनो !
बदलो मत ग़लत रुझानों को
जीने - मरने के मानों को
खोलो मत गति के बँधे चरण
ज़िन्दगी जिधर ले जाए, चलो
कमज़ोर बनो !
कमज़ोर बनो !
ईमान-धरम-अहसासों को
फेंको इन फूलकपासों को
पीटो लक़ीर रूढ़ियाँ बुनो
गफ़लत की औंधी राह चुनो
कमज़ोर बनो !
कमज़ोर बनो !