फूल अपने रंग-रूप पर कितना भी गुमान करे
उसके मन में सीमाओं का बोध अवश्य है,
वह जानता है
कि सुगंध बनकर ही वह तुम्हे पा सकता है
यही उसके खिलते जाने का रहस्य है.
फूल अपने रंग-रूप पर कितना भी गुमान करे
उसके मन में सीमाओं का बोध अवश्य है,
वह जानता है
कि सुगंध बनकर ही वह तुम्हे पा सकता है
यही उसके खिलते जाने का रहस्य है.