भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

फूल और चिड़िया / सुरेश विमल

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

हवाओं ने
उस फूल के बीजों को दिशा दी
बादलों ने उसे सींचा
और उगा फूल इस बार
एक हरे-भरे मैदान में

फूल के रंगों और
उसकी सुरभि ने उसे
एक सुन्दर-सी चिड़िया कि मित्रता का
उपहार दिया...
चिड़िया गाती थी
और फूल मुस्काता था...
बहुत दिन बीते
समय पर बादल नहीं आए
फूल मुरझाकर सूख गया...

उदास चिड़िया ने
फूल के बीज को
चोंच में दबाया
और एक नदी के तट के पास
डाल दिया...