झील के किनारे घने उगे चीड़
और रुपहले पीपल के बीच
दीवार और झाड़ियों से घिरा एक बाग़
इस कदर होशियारी से लगाई गई
मौसमी फूलों की क्यारियाँ
कि मार्च से अक्टूबर तक वे खिलते ही रहें ।
यहाँ, सुबह-सुबह,
अक्सर तो नहीं, पर बैठता हूँ
और जी करता है
काश ! मैं भी
अच्छे, बुरे, अलग-अलग मौसम में
ऐसा या वैसा
दिलकश
कुछ पेश कर सकता ।
1953
मूल जर्मन भाषा से अनुवाद : उज्ज्वल भट्टाचार्य