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फूल की पँखुड़ी की बात करो / कांतिमोहन 'सोज़'
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फूल की पँखुड़ी की बात करो ।
आज बस ज़िन्दगी की बात करो ।।
दिल की दिल की लगी की बात करो ।
इश्क़ की बन्दगी की बात करो ।
घिर गया चारसू<ref>चारों तरफ़ से</ref> दरिन्दों से
दोस्त उस आदमी की बात करो ।
हर नज़र मेरी सिम्त उट्ठेगी
शौक़ से तुम किसी की बात करो ।
हम चराग़ां<ref>दीपोत्सव</ref> तो कर नहीं सकते
कम से कम रौशनी की बात करो ।
कल नतीजा सुनाया जाएगा
आज रस्साकशी की बात करो ।
है ज़बां फिर भी कुछ नहीं कहती
सोज़ उस ख़ामुशी की बात करो ।।
शब्दार्थ
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