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फूल खिलते हैं तालाब में तारा होता / 'रम्ज़ी' असीम
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फूल खिलते हैं तालाब में तारा होता
कोई मंज़र तो मिरी आँख में प्यारा होता
हम पलट आए मसाफ़त को मुकम्मल कर के
और भी चलते अगर साथ तुम्हारा होता
हम मोहब्बत को समंदर की तरह जानते हैं
कूद ही जाते अगर कोई किनारा होता
एक ना-काम मोहब्बत की हमें काफ़ी है
हम दोबारा भी अगर करते ख़सारा होता
कितनी लहरें हमें सीने से लगाने आतीं
कोई कंकर ही अगर झील में मारा होता