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फूल खुशबू लुटाते चमन के लिये / रंजना वर्मा

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फूल खुशबू लुटाते चमन के लिये ।
जान देनी है प्यारे वतन के लिये।।

एक चाहत हमेशा ही दिल मे रही
हो तिरंगा हमारे कफ़न के लिये।।

छोड़ परिवार घर छोड़ अपना शहर
आ गये मातृ भू को नमन के लिये।।

दुश्मनों से सदा युद्ध करते हुए
सो रहे भूमि पर ही अमन के लिये।।

ओढ़ने को मिला नील नभ है हमें
गोद पायी धरा की शयन के लिये।।

देश को है समर्पित दिलो जान औ
है तिरंगा हमारा गगन के लिये।।

यज्ञ का कुण्ड है प्रज्वलित हो चुका
शीश अब चाहिये इस यजन के लिये।।