भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
फूल गुलाबी / लक्ष्मीनारायण रंगा
Kavita Kosh से
सूरज री
किरणां
खिलादै
जगां जगां
बादळा में
गुलाब रा फूल‘र
आभौ हुयज्यावै
फूल गुलाबी।