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फूल तो आपै ही कुमळासी / कन्हैया लाल सेठिया
Kavita Kosh से
माळीड़ा, मत चूंट, फूल तो
आपै ही कुमळासी,
घड़ी स्यात् अै और मुळक ळै
फेर कदे ना आसी।
ले ज्या पूजा थाळ आज तो
खाली ही निरमोही,
सुण लै साची बात बताई
आगै तनै न कोई,
झरै जठै ही प्रभु रा पग है
तपै बठै ही कासी,
नास करयां स्यूं हुवै बावळा
कद राजी अविनासी ?
माळीड़ा मत चूंट फूल तो.......।
मरया निरदर्द सगळा पाछा
कांटा बण बण आवै,
झर न सकै बै साथ फूल रै
करया पाप भुगतावै,
फेर कर्यां पिसतावो गूंगा
कद छूटै चौरासी ?
चेत मानखा जोत जगा लै
रातड़ली धुळ ज्यासी,
माळीड़ा मत चूंट फूल तो.......।