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फूल बगिया में बेहिसाब खिलै / मुकेश कुमार यादव

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गेंदा खिलै।
गुलाब खिलै।
फूल बगिया में बेहिसाब खिलै।
मधु मिलै।
मधु कलश मिलै।
मधुमक्खी बेहिसाब मिलै।
ओस गिरै।
बूंद-बूंद गिरै।
कुहरा कुहासा आजाद फिरै।
दिन शांत।
रात शांत।
वर्षा मेघ आकाश शांत।
सुहानो लागे।
भूलैलो लागे।
गर्मी उमस दूर गेलो लागे।
स्वच्छ पथ।
पंक धूल रहित पथ।
पुण्य प्रशस्त स्पष्ट पथ।
फूलै कास।
नीला आकाश।
शरद ऋतु जगावै आस।
पूनम रो रात।
चांदनी रात।
हँसी-खुशी शरद रो रात।
दिवाली ऐलै।
हरियाली ऐलै।
घरो-घरो में खुशहाली ऐलै।
पानी कम।
तूफानी कम।
मक्खी मच्छड़ कीचड़ कम।
बातो कम।
रातो कम।
बच्चा रो शरारतो कम।
खिलै धूप।
मिलै धूप।
शरद शीत शर्मैलै धूप।
हल्कै धूप।
फूल्कै धूप।
शीत लहर में हूल्कै धूप।
चल्लो गेलै।
टल्लो गेलै।
शीतल ठंड छललो गेलै।