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फूल लोढ़े चलली हे गउरा, बाबा फुलवारी / मगही

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मगही लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

फूल लोढ़े<ref>टहनियों से चुन-चुनकर फूल तोड़ने</ref> चलली हे गउरा<ref>गौरी, पार्वती</ref> बाबा फुलवारी।
बसहा चढ़ल महादेव, लावले<ref>लगाते हैं</ref> दोहाई<ref>दुहाई प्रार्थना</ref>॥1॥
लोढ़ल<ref>चुनकर तोड़ा हुआ</ref> फफलवा हे गउरा देलन छितराए।
रोवते कनइते<ref>रोते-काँदते</ref> हे गउरा, घर चलि आवे॥2॥
मइया अलारि<ref>पुचकार कर</ref> पूछे, बहिनी दुलारि पूछे।
कउने तपसिया<ref>तपस्वी</ref> हे गउरा, तोरो के डेरावे॥3॥
लाज के बतिया<ref>बात</ref> हे अम्मा, कहलो न जाए।
भउजी जे रहित हे अम्मा, कहिति समुझाए॥4॥
पूछु गल सखिया<ref>गले-गले मिलने वाली सखी</ref> सलेहर<ref>सहेली</ref> कहिहें समुझाए।
बड़े बड़े जट्टा हे अम्मा, सूप अइसन<ref>ऐसा</ref> दाढ़ी॥5॥
ओही तपसिया हे अम्मा, हमरो डेरावे।
ओही तपसिया हे अम्मा, पड़ले दोहाई॥6॥
बुद्धि तोरा जरउ<ref>जल जाय</ref> हे गउरा, जरउ गेयान।
ओही तपसिया है गउरा, पुरुख<ref>पुरुष, पति</ref> तोहार॥7॥

शब्दार्थ
<references/>