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फूल सहीं मुस्कावव / दानेश्वर शर्मा

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डोंगरी साहीं औंटियावव तुम, नांदिया जस लहराव
ये जिनगी ला जीए खातिर फूल सहीं मुस्कावव

निरमल झरना झरथय झरझर परवत अउ बन मा
रिगबिग बोथय गोंदाबारी कातिक अघ्घन मा
दियना साहीं बरव झमाझम, कुवाँ सहीं गहिरावव
ये जिनगी ला जीए खातिर फूल सहीं मुस्कावव

तन के धरम हे मन भर करना बूता पर हित मा
हिरदे ला जलरंग करव तुम मया के अमरित मा
बिजली साहीं चमकव चमचम बादर जस घहरावव
ये जिनगी ला जीए खातिर फूल सहीं मुस्कावव

काँटा खूँटी तो रद्दा मा दस ठन आही गा
लेकिन रेंगत पाँव के छइहाँ धरनइ पाहीं गा
बघवा साहीं रुतबा राखव, हिरना जस मेछरावव
ये जिनगी ला जीए खातिर फूल सहीं मुसकावव