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फूल -पाँखुरी / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
Kavita Kosh से
सूने पथ में
मिली अमूल्य मणि,
फूल -पाँखुरी
जीवन -तरंग की
सुगन्ध -भरी
भाव -अनुरंजिनी
कष्ट -सिंधु में
लाख गोते लगाती
मृदुहासिनी
कहाँ से मिला तुम्हें?
अटल धैर्य
आँसू पीकर खारे
यूँ मुस्कुराना
रचना प्रेम- काव्य,
शैल नदी -सा
पत्थरों से टकरा
चोटिल होना
फिर भी मुस्कुराना।
सूनी थी बाट
छाया घना अँधेरा
तुमने थामा
मेरा काँपता हाथ
ओढ़े तुमने
सदैव मेरे दुःख
मेरी व्यथाएँ
भूलकर अपने
जीवन- सुख।
बस इतना चाहूँ-
निशिवासर
किसी भी लोक जाऊँ
हर जन्म में
मैं तुमको ही पाऊँ
सदा कंठ लगाऊँ।
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