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फूल / नवीन सागर

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फूल जो कल इस धरती पर
खिला हुआ था
आज धरती में है
कल जन्म लेने को आतुर ।

उसकी खाली जगह में
उसका अदृश्य आकार
फैल गया है
रात के पूरे अंधकार में अभी

सुबह
चुपचाप फूल में लौटेगा
खो जाएगा
उन रगों में जो
पूरी धरती के भीतर सज रहे हैं

फूल को
अपने जीवन का यह खेल अच्छा लगता है
मुझे फूल अच्छा लगता है।