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फेरों-कन्यादान का गीत / 12 / राजस्थानी
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राजस्थानी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
गीत कलेवा (मजाक)
धोया धोया थाल परोस दिया भात जी, आओ आओ जंवाई जी,
कांसे धालो हाथ जी, कांस धालो हाथ, बताओ थांकी जात जी।
बाप थांको चोरटो, मायं छिदांलजी, भुवा थांकी भगतण, मांसो मोड़ा सात जी।
धोया धोया हाथ जी, कांसे धालो हाथ, बताओ थांकी जात जी।
बाप म्हारो राजाजी, मां पटरानी जी, चारो भाई चौधरी, बैठे पंचा मांय जी।
बहन म्हारी सुभद्रा रसोयां के मांय जी।
नहावे जी गंगा जी की, पेड़ी में मां को दान देवे जी।
साला-साली छोरा-छोरी आंख फड़कावै जी।