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फेरों-कन्यादान का गीत / 1 / राजस्थानी
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राजस्थानी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
पहलो फेरो लाड़ी, दादा, ताऊजी री प्यारी।
दूजो तो फेरो लाड़ी, पापा, चाचीजी री प्यारी।
तीसरा तो फेरो लाड़ी, भैया, मामाजी री प्यारी।
चौथा तो फेरो लाड़ी, जीजा, फूफाजी री प्यारी।
पांचवो तो फेरा लाड़ी, नानाजी री प्यारी।
छठवें तो फेरा बन्नी, बन्ना री प्यारी।
सातवों तो फेरा, बन्नी हुई है पराई।