फौजीं हैं देश दिवाने / रणवीर सिंह दहिया

दिल्ली पर 13 सितम्बर के बाद अंग्रेजीं सेना का कब्जा हो जाने पर भी मेवात के शूरवीर दिल्ली के हालात से बेखबर आजादी का परचम उठाये दो महीने तक अंग्रेजीं सेना के मशहूर जनरल शावर का मुकाबला करते रहे। राय सीमा के यु़द्ध में अंगेेज क्लेक्टर कोर्ड को 13 अक्टूबर को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। इस सब के बावजूद देश आजाद कराने का जुनून था उनमें।

फौजीं हैं देश दिवाने अब आजाद करा कर मानैंगे॥
हम आजादी पाने आये आजादी पाकर मानैंगे॥
गुलामी की जंजीरे टूटेगीं उस वक्त तसल्ली पायेंगे
पीछे हटने वाले नहीं लड़ते-लड़ते ही मर जायेंगे
हम भी किसी से कम नहीं तूफान उठाकर मानैंगे॥
फिरंगी ने जुलम ढाये कारीगरों के हाथ कटवायें
सोने की चिड़िया को फिरंगी कंगाल बनाना चाहे
एक बार कदम बढ़े हमारे तो मंजिल जाकर मानैंगे॥
मैदाने जंग में डटे हुए ज्यान की बाजी लगा रहे
देश की आजादी की खातर गोली सीने मैं खा रहें
नये तराने दिल में हैं हम इनको गाकर मानैंगे॥
कटते रहें बढ़ते रहें ये लाल खून रंग लायेगा
बंगाल आर्मी का फौजी आगे कदम बढ़ाता जायेगा
दे बड़ी से बड़ी से कुर्बानी हम दुश्मन को हिलाकर मानैंगे॥

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