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बँसिया के बाजा एक सुनिले हे / भोजपुरी

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बँसिया के बाजा एक सुनिले हे, कि बीचवा के गंगा स्थान
बँसिया सुनन हम जाइब माई हे, कइसे के उतरब पार।।१।।
हाँ रे, केथिए के नाव सिरिजबों हे, केथिए के केरुआर;
केथिए चढ़ी साँवर तिरिया, केहि विधि उतरब पार।।२।।
हाँ रे, सींकिया चीरी हम नाव सिरिजबों, सींकिए के हम केरुआर;
ताहि पर चढि़ हम साँवर तिरिया, खेई-खेई उतरबि पार।।३।।
हाँ रे, पार उतरि गोरी वाही ओर चितवे, कि कतहूँ ना देखे बंसीवाल;
बंसी सबद सुने, सबद हिया में भरे, हाँ रे साले, हाँ रे मोरा चित उपजे बिलूर।।४।।
पूरब-पच्छिम आरे डीह-डाबर, उतरे-दखिने घनसार;
आहो रामा, ताहि बीचे बा रे डँरहर भीतिया, ताहि तर सूते बंसीवाल।।५।।
हाँ रे, पूरब दिसि मारे, पच्छिम दिसि मारे, तबहूँ ना जागे बंसीवाल;
पानवाँ के बीड़ा साजि मारे गोरी साँवर, चिहुँकि उठे बंसीवाल।।६।।
हाँ रे, धारी-धुरी बंसी मुँह में लगावे, बंसी बजावे अनुराग
बंसी सबद सुनि मोहे गोरी साँवर मोहि गइले सकल जहान।।७।।