बंगाल आर्मी अंग्रेजां की / रणवीर सिंह दहिया
अंग्रेजों ने धीरे-धीरे पूरी देशी फौज तैयार करली। जिसे बंगाल आर्मी के नाम से जाना गया। देसी लोगों की सेना से जिसे अंग्रेजों के ड्रिलसार्जेंट ने संगठित तथा प्रशिक्षित किया वह जहां अंग्रेजों के काम आई वहीं वह हिंदुस्तानी आत्मोत्थान की आवश्यक शर्त भी थी। देसी सेना अंग्रेजों की वफादार फौज मानी गई उस आर्मी में हिंदु व मुसलमान दोनों थे। कई साल तक इस आर्मी ने कई लड़ाइयां लड़ी जिसके चलते दोनों सम्प्रदाय के फौजियों में एकता और मजबूत हुई। एक समय के बाद सन् 1856 के आते आते देशी और बरतानवी फौजी के बीच का अनुपात घट कर दह भारतीय सिपाहियों पर एक ब्रिटिश का रह गया। इस बिगड़े हुए सैनिक अनुपात को भी कालान्तर में आने वाले समय की बगावत के मुख्य कारणों में से माना गया। क्या बताया भला:
बंगाल आर्मी अंग्रेजां की उसका पूरा इतिहास सुणो॥
फिरंगी राज की नींव बताई इसपै था पूरा विश्वास सुणो॥
सवा लाख सिपाही इसमैं यू पी बिहार और हरियाणे के
खड़ग हस्त बने ब्रिटिस के सिपाही पूरे इस समाणे के
हिंदु मुस्लिम टिवाणे के बढ़िया सबका इकलास सुणो॥
ठारा सौ बत्तीस मैं आर्मी नै ग्वालियर मैं लड़ी लड़ाई
ठारा सौ चवालिस मैं सिंघ पै विजय पताका जा फैहराई
पंजाब की फेर बारी आई हुई आर्मी बदहवास सुणो॥
ठारा सौ बावण मैं बर्मा की लड़ाई दूसरी लड़ी फेर
दक्षिण बर्मा जीत दिखाया दुश्मन कर दिए हजारों ढेेर
डटे ंफ्रट पै लखमी शमशेर नहीं हुये ये निराश सुणो॥
अफीम यु़द्ध चीन देश का इसके सिर पै आण पड़या
ठारा सौ चालीस ब्यालिस मैं आर्मी सिपाही खूब लड़या
ठारा सौ छप्पण मैं फेर भिड़या बिछी हजारां लाश सुणो॥
लगातार लड़ाइयां मैं रही जो वा बंगाल आर्मी बताई
सिर धड़की या बाजी लाकै हमेशा लड़ती रही लड़ाई
रणबीर की कविताई नै जाणै गाम बरोणा खास सुणो॥