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बंतळ खातर नूंतो / सांवर दइया
Kavita Kosh से
बंद खिड़कियां अर
बंद दरवाजां आळै कमरै में बंद
कांई करै तूं
बारै देख
खुली हवा है
तावड़ो है
सुगंध है
लै आव
आपां करां-
गटरगूं-गटरगूं ।