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बंदर की बस / श्रीप्रसाद
Kavita Kosh से
बंदर को बस एक मिल गई
काफी सस्ती
अब मत कोई भी पूछो
बंदर की मस्ती
चलने के पहले जाँची
अपनी बस सारी
लेकर बस चल पड़े, बिठाकर
बीस सवारी
मगर चले ही थे, उसका
दरवाजा टूटा
फेल हुआ फिर ब्रेक, किसी का
माथा फूटा
फिर भड़भड़भड़ शोर मचाया
बस ने ऐसे
दगे बीसियों बम के गोले
पथ पर जेसे
तुरंत पुलिस आई, बंदर ने
माँगी माफी
कहा पुलिस से, ले लो मुझसे
बारह टाफी
यह सुनकर तो किया पुलिस ने
चट जुरमाना
विनती की, पर नहीं पुलिस
वाला वह माना
अब इस बस को बेचबाचकर
बंदर भैया
नाच रहे हैं गा-गाकर के
ता ता थैया।