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बंदर मामा / अमरेन्द्र
Kavita Kosh से
ई की तोरोॅ हाल छौं होलोॅ?
बंदर मामा, सच-सच बोलोॅ।
केकरोॅ हड़िया में मूँ देलौ?
की छेलै वै में, की खैलौ?
करखी ही मुँह पर भरलोॅ छौं,
हमरा तेॅ लागौं-जरलोॅ छौ।
जों करखी, तेॅ साबुन लै ला;
खूब नहाबोॅ घैला-घैला;
तबेॅ उछलियोॅ छप्पर-छोॅत;
नाशी देलोॅ सबटा लोॅत।
की पीलेॅ छै दारू-भांग,
दै रहलोॅ छौ बड़ी छलांग?