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बंदर / रुचि जैन 'शालू'

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उछल उछल कर आया बंदर
इस डाली से उस डाली पर
कभी लटक-कर कभी झूल कर
धमा-चौकड़ी करता दिनभर
कभी घरों से कपड़े लेता
बटन पकड़कर नोचा करता
घर के अंदर घुस जाता है
फल अनाज सब खा जाता है