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बंद वायुयान की खिड़कियाँ अच्छी लगीं / उर्मिल सत्यभूषण

बंद वायुयान की खिड़कियाँ अच्छी लगीं
और उनसे झांकती रवि रश्मियाँ अच्छी लगीं

काम करती हो निडर, ये मुस्कुराती, भागती
हर तरह से ये सुरक्षित लड़कियाँ अच्छी लगीं

दूर तक उड़ती हुई उजले कपोतों की तरह
नील नभ में तैरती ये बदलियाँ अच्छी लगीं

जारी था हिमपात, सड़कें साफ होती जा रहीं
लिबर्टी के राज की ये झांकियाँ अच्छी लगीं

काफिले कारों के चलते यूं कि जैसे बिजलियाँ
लाल-पीली चमचमाती बत्तियाँ अच्छी लगीं

सभ्यता के रंग में रंगे लाये लोग जो
संस्कृतियों की विविध सुगंधियाँ अच्छी लगीं

काम करते बुत बने हर आदमी की आँख में
हवस डॉलर की खली पर तुर्शियाँ अच्छी लगीं

दाग धब्बों से रहित लकदक मकानों में जड़ी
चुप्पियाँ अखरी बहुत पर बिजलियाँ अच्छी लगीं

चल चले उर्मिल हवा स्वदेश की है गूंजती
मंदिरों की रव से, उनकी घंटियाँ अच्छी लगीं