बंद हृदय के तुम पट खोलो। 
हिन्दी माता कि जय बोलो। 
राष्ट्रवाद की परिचायक है, 
सरल-सरस अति सुखदायक है, 
कालकूट मत इसमें घोलो। 
हिन्दी माता कि जय बोलो। 
मधुर कन्हैया मुरली जैसी, 
मर्यादा छवि शोभित कैसी, 
भाषा गंगा में मन धोलो। 
हिन्दी माता कि जय बोलो॥
लगे लोरियों जैसी न्यारी, 
मातु अंक-सी लगती प्यारी, 
ताप मिटें सब इसमें सो लो। 
हिन्दी माता कि जय बोलो॥