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बंसी तो बाजी मेरे रंग-महल में / अवधी

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

बंसी तो बाजी मेरे रंग-महल में

सासू जो ऐहैं राजा चढ़वा चढ़न को,
उनहूँ को नेग दे देना मोरे अच्छे राजा,
उनहूँ को नेग दे देना मोरे भोले राजा,
मोती से उजले राजा,
फूलों से हलके राजा,
तारों से पतले राजा,
नैनों से नैन मिलाना ,मुखड़े से हँस बतलाना,
रंग-महल में ।

जिठनी जो अइहैं राजा, पिपरी पिसन को…
ननदी जो अइहैं राजा छठिया धरन को…
देवर जो अइहैं राजा बंसी बजन को