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बकरियों में भी जान है लेकिन / बल्ली सिंह चीमा
Kavita Kosh से
बकरियों में भी जान है लेकिन ।
भेड़ियों का जहान है लेकिन ।
माल महँगा भी और फीका भी,
कितनी ऊँची दुकान है लेकिन ।
लोग कहते हैं वो उक़ाब नहीं,
कितनी ऊँची उड़ान है लेकिन ।
मौत हर मोड़ पर डराती है,
ज़िन्दगी मेहरबान है लेकिन ।
दाने-दाने को तरस जाता है,
यूँ तो 'बल्ली' किसान है लेकिन ।