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बगत / कन्हैया लाल सेठिया
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न कोई हुवै देवता
न कोई पलीत,
ओ तो काळ
जको ही चालै
सुऊं’र ऊंधो,
मिनख बो
जको राखै
गत नै सुंई
मतै ही चली जासी
आपरी मोय में
हुई’र अणहुई !