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बगत : अेक / ओम पुरोहित ‘कागद’
Kavita Kosh से
बगत बदळतां
बगत नीं लागै
पण फेर भी
बदळे बगत
बगतसर ई!
कियां बदळै
आंख्या साम्हीं
थिर लागतो ओ बगत
बतावण रो
बगत ई नीं मिलै
किणीं बगतपाळ नै!