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बगीचा / कार्लोस ओकेन्दो दे आमात / अनिल जनविजय
Kavita Kosh से
पेड़ बदल रहे हैं
अपने कपड़ों के रंग
गुलाब उड़ रहे हैं
अपनी शाखाओं से
एक बच्चा
अपनी नज़रों से
सींच रहा है पेड़ों को
और वहाँ एक कोने में
पौधे की तरह बढ़ेगा
चन्द्रमा ।
मूल स्पानी से अनुवाद : अनिल जनविजय
लीजिए, अब यही कविता मूल स्पानी में पढ़िए
Carlos Oquendo de Amat
JARDÍN
Los árboles cambian
el color de los vestidos
Las rosas volarán
de sus ramas
Un niño echa el agua de su mirada
y en un rincón
LA LUNA CRECERÁ COMO UNA PLANTA