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बचपन, गाँव, घोंसला, रात / पंकज सिंह

मोर नाचते हैं शीशम के जंगल में

डालों के झुरमुट में घूमता है

बूढ़ा चौकीदार--पूरनमासी का चांद


परती के बीच एक घर है

जहाँ बच्चे सोए हैं

जहाँ माँ सोई है

लटक आते हैं छप्पर से गेहुँअन करइत


जहाँ आंगन में रात भर चमकती है एक कुदाल


(रचनाकाल : 1979)