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बचपन - 19 / हरबिन्दर सिंह गिल

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बचपन और माँ-बाप का वही सम्बंध है
जो आत्मा और शरीर का है।

माँ-बाप एक सच्चाई है
बचपन एक स्वप्न है
जो समय के साथ
मानव बन जाता है।
परन्तु माँ-बाप आत्मा की तरह
कभी नहीं बदलते।

बचपन मानव बनकर अपने साथ
कितना मानवता का अश रखेगा
यह आत्मा के तेज पर निर्भर करता है।
इसलिए बचपन को चाहिए
अपने माँ-बाप में संचित रोशनी को
व्यर्थ न जाने दे।

इससे पहले कि यह बचपन
मानव का रूप
धारण कर ले
इसे अपने शरीर की रग-रग में
उतार ली
क्योंकि आने वाले
कल के हर अंधेरे को
इसी प्रकाश से दूर करना है
वरना जीवन भटक कर रह जाएगा
इस समाज के चक्रव्यूह में।