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बचपन - 36 / हरबिन्दर सिंह गिल
Kavita Kosh से
”यह हर बचपन का
अपना-अपना तरीका है
वह कैसे सीखता है
अर्थ जिंदगी का।“
अपने स्वयं के जीवन के
उतार चढ़ाव से
या पुस्तकों में लिखे
ज्ञान के भण्डार से
या चलते-चलते
ठोकरें खाने से
या अपने स्वभाव की
गंभीरता से
या किसी व्यतित्व
के आदर्शों से।
परन्तु जहाँ तक
इस कवि का संबंध है
मैनें शब्दों की
गहराई में ही
जीवन के छिपे
खनिज पदार्थों को
खोजा है।
उदाहरण शब्द ”मौसम“ का है
कोई इसमें प्रकृति के गीत गाएगा
कोई कहेगा
आज का मौसम बहुत गर्म है या है ठंडा।