कितना अच्छा हो
यदि मानव अपने बचपन से
कुछ आगे कदम बढ़ा
याद करने की कोशिश करे
मानवता के बचपन को।
वो पाये-गा
उसका भविष्य और वर्तमान दोनों ही
इसी अज्ञानता के कारण
अंधकार में पड़े हुए हैं
क्योंकि मानवता के बचपन में
उसे दिखाई देगी
एक सूरत
माँ की
जिसका नाम मानवता है।