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बचपन / अशोक शुभदर्शी
Kavita Kosh से
बच्चा स्कूल जाय छै
पीठी पर लादी केॅ बस्ता
जेना कि गधा हुअे ऊ
धोबी केॅ
लादी केॅ अपनोॅ भविश्य
अपनोॅ बस्ता में बच्चा
स्कूल सें लौटै छै बच्चा
अपनोॅ खाली दिमागोॅ में
आरो खाली कापी में
कुछ्छु-कुछ्छु भरी केॅ
धोबी केॅ गधा लौटै छै जेना
घाटोॅ सें
धोबी कें भींगलोॅ कपड़ा लैकेॅ
बच्चा झुकी क चलै छै सड़कोॅ पर
आवै वाला जमाना के भार,
जेना कि
डाली देलोॅ गेलोॅ छै बच्चा पर स्कूली में
बचपन खोय जाय छै
बच्चा केॅ स्कूल जाय आरो
स्कूली सें आवै में
कहीं नै मिलै छै ओकरा संरक्षण
अपनोॅ बचपन बचावै केॅ।