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बचा कर रख लूँ / सुदर्शन वशिष्ठ
Kavita Kosh से
बचा कर रख लूँ थोड़ा सा झूठ
जैसे रखा था युधिष्ठिर ने युद्ध भूमि के लिये
बचा कर रख लूँ थोड़ा सा सच
जैसे रखा था हरिश्चंद्र ने श्मशान भूमि के लिये।
बचा कर रख लूँ इज़्ज़त, थोड़ा मान
बचा कर रख लूँ स्वाभिमान।
बचा कर रख लूँ थोड़ी जुम्बिश
बचा कर रख लूँ थोड़ा प्यार।
कुछ आग बचा कर रख लूँ
रख लूँ कुछ गर्मी, कुछ जोश
अँत समय के लिये कुछ होश।