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बचा हुआ प्रश्न / अनिरुद्ध प्रसाद विमल

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हे प्रभो !
मैंने तो सुन रखा था
बचपन में अपनी नानी से
अपनी दादी से
अपनी माँ से
कि तुम समदर्शी हो
दूध का दूध
और पानी का पानी
कर देते हो
सब जान गया प्रभो
कि तुम यह सब
कुछ भी नहीं करते हो
तुमसे यह भी नहीं होता
कि निरापराधियों को
अगर जेल देते हो
तो अपराधियों को भी।
हे प्रभो !
तुम कैसे समदर्शी हो ?