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बचा हुआ स्वाद / गोविन्द माथुर
Kavita Kosh से
जीभ का भूला हुआ स्वाद
जीभ पर नहीं है
सुरक्षित है मेरी स्मृति में
न रोटियों में
न दाल में
न अचार में
बचा है स्वाद
मेरी स्मृतियों में
बचाए रखना चाहता हूँ
थोड़ी सी महक
थोड़ी सी गंध
थोड़ी सी भूख
थोड़ी सी प्यास
अपनी स्मृतियों में
बचाए रखना चाहता हूँ
खाली पेट देखे स्वप्न
खट्टे मीठे फालसों
काली जामुन और
लाल बेर का रंग
मुँह में आया पानी
और बचा हुआ स्वाद
अपनी स्मृतियों में।