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बचे रहो / रघुवीर सहाय
Kavita Kosh से
हज़ार कई हज़ार हज़ारों मर गए भूख से
--ऐसा कहा
इतनी बड़ी संख्या बताई कि उतनी बड़ी
आड़ हो गई
कि कोई देख नहीं पाया कि मैं
उनमें नहीं था