भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
बच्चा हँस रहा है-2 / नरेन्द्र जैन
Kavita Kosh से
बच्चा हँस रहा है
क्योंकि
देखी नहीं दुनिया
उसने अभी
माँ-बाप आँगन
दुनिया उसकी
माँ-बाप आँगन से परे
कैसी दुनिया?
बच्चा
चुप है