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बच्चा / काएसिन कुलिएव / सुधीर सक्सेना
Kavita Kosh से
मेरी मनःस्थिति गूँजती है मेरी पँक्तियों में
मैं आज हैरान हूँ और मेरा दिल छलनी
लेकिन ज़िन्दगी हसीन है उस बच्चे के लिए
जो एक छड़ी पर घुड़सवारी कर रहा है
ये चला वो सड़क पर सरपट
ख़ुशी से खिलखिलाता बेपरवाह
मानो न कभी था ऐसा सरपट घोड़ा
और न था ऐसा सवार
पाँवों पर नहीं, घोड़े की पीठ पर सवार
बच्चा उड़ता है हवा की मानिन्द
और एक पतली छड़ी से वह
चाबुक फटकारता है अपने दाएँ, अपने बाएँ
जीतेगा उसका घोड़ा सारी दौड़ें
अव्वल रहेगा वह सदैव
प्रसिद्ध सेनानायकों के नामी-गिरामी घोड़े भी
करेंगे ईर्ष्या उसके अथक उत्साह से ।
अँग्रेज़ी से अनुवाद : सुधीर सक्सेना