भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

बच्चे आएँगे / सुभाष राय

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

बच्चों को खेलने दो, पढ़ने दो
उन्हें मत मारो
मार नहीं पाओगे सारे बच्चों को

क्या करोगे जब तुम्हारी बन्दूकें जवाब देने लगेंगी
बच्चे आ रहे होंगे और तुम्हारे पास गोलियाँ नहीं होंगी

फिर बच्चे तय करेंगे तुम्हारा भविष्य
वे तय करेंगे कि इस दुनिया में
तुम्हें होना चाहिए या नहीं

बच्चे फिर भी तुम्हें मारेंगे नहीं
तुम्हें मरने देंगे ख़ुद-ब-ख़ुद

तुम मिट जाओगे क्योंकि बच्चे तुम्हारी तरह
बन्दूकें नहीं उठाएँगे, गोलियाँ नहीं चलाएँगे