भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

बच्चे तो स्कूल गये / हरि फ़ैज़ाबादी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

बच्चे तो स्कूल गये
घर से कहाँ उसूल गये

आज सभी पर हँसते हो
अपना कल तुम भूल गये

आख़िर क्या है उसमें जो
तुम बहुतों से फूल गये

अब लगता है बिना वजह
वो फाँसी पर झूल गये

सिर्फ़ तुम्हारी दावत थी
घर भर वहाँ फ़ुज़ूल गये

स्वागत हुआ अमीरों का
रौंदे मुफ़लिस फूल गये