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बच्चे (2) / सत्यनारायण सोनी
Kavita Kosh से
बच्चे
फाड़ सकते हैं
किसी कविता के पन्ने,
तोड़ सकते हैं
किसी देव की मूरत,
फेंक सकते हैं पत्थर
मस्जिद की ओर।
पर बच्चे
नहीं जानते
सांप्रदायिक होना।
1988