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बच्चे / हेमन्त जोशी
Kavita Kosh से
बच्चों पर दो कविताएँ
एक
प्यार तो करते हैं हम सभी बच्चों को
छोटे होते हैं जब बच्चे
करते हैं हम उन सभी को प्यार
दिखते हैं सबके सब सुंदर।
कल जब ये बड़े होंगे
मारे जाएंगे किसी न किसी वाद की आड़ में
मारे जाएंगे अपनी वजह से
अपनी नस्ल, अपनी जाति बतलाने के जुर्म में मारे जाएंगे।
बचे रहेंगे कुछ बच्चे
व्यापक सुरक्षा की बदौलत
बचे रहेंगे वे कि उनके साथ होंगी बंदूकें
और निहत्थे होंगे बाकी सभी बच्चे।
दो
बच्चे बंधे हैं सीमाओं में
बच्चे नहीं मानते सीमाएँ
बच्चे खेल रहे हैं बंदूकों से
बच्चे सिर्फ़ खेलना चाहते हैं
बच्चों के लिए खींची हैं सीमाएँ हमने ही
उनके हाथों में बंदूकें भी हमने ही दी हैं।