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बच्चों की दुनिया / रश्मि रेखा

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अपने समय में ज़िन्दगी की ख़ुशबू भरते
मगन हैं अपनी दुनिया में बच्चे
जिसे दशकों पीछे छोड़ आये हैं हम
चित्रों में उतर रहीं हैं परी-कथाऍ
नृत्य की लय में जीवन का संगीत

पतंग के साथ उड़ रहें है आकाश में
अनंत दिशाओं में इनके अनंत सपने
खुशियों के पुल बाँधते
खुली किताब की सीढ़ी-दर-सीढ़ी चद्गते
वे आश्वस्त हैं
कि एक दिन अवश्य छू लेंगे सूरज को

इधर मै सोच रही हूँ
मेरे डैनों के बाहर जब ये जायेंगें
इनके लिए दुनिया क्या ऐसी ही रहेगी