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बच्चों को याद करते हुए / भास्कर चौधुरी
Kavita Kosh से
					
										
					
					बमुश्किल माह भर ही तो गुज़रा है
उस सैन्य स्कूल के बच्चों को गुज़रे
जाना शुरू कर दिया है 
बच्चों ने फिर से स्कूल
देखा तुमने 
बंदूक वालों 
उनके हाथों में किताबें हैं  
बंदूक नहीं!!
	
	