बच्चो, जब थक जाओ 
भागते-भागते 
अपनी पीठ पर लादे 
किताबों का ये बोझ 
तो जाकर सुस्ता लेना 
इन पेड़ों के नीचे 
पेड़ नहीं माँगेंगे तुमसे 
पिछले तमाम सालों का हिसाब।
 
पेड़ नहीं पूछेंगे कि तुमने 
क्यों छोड़ दिया उन्हें अकेला। 
धरती नहीं रोएगी कि क्यों 
नहीं खेले नदी-पहाड़
फूल नहीं पूछेंगे कि क्यों 
पढ़ते रहे उन्हें सिर्फ़ 
किताबों में।
 
और अगर सो नहीं पाए हो 
गहरी नींद तो धीरे से 
जाकर लेट जाना हरी घास पर 
धरती तुम्हें ऐसे रहस्य बताएगी 
जो तुमने नहीं पढ़े होंगे 
कहीं किसी किताब में।