भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

बजती-सी सीटी /राम शरण शर्मा 'मुंशी'

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

बजती-सी
सीटी एक
नदी
पार कर गई,

               उड़ी
               फरर-फरर-फरर ...

अवचेतन
नभ को
प्रतिध्वनि से
भर गई !