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बजती-सी सीटी /राम शरण शर्मा 'मुंशी'
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					बजती-सी 
सीटी एक
नदी
पार कर गई,
               उड़ी
               फरर-फरर-फरर ...
अवचेतन
नभ को
प्रतिध्वनि से
भर गई !
 
	
	

